किसानों का राजनैतिक संवाद | राष्ट्रीय किसान मंच | रायबरेली

किसानों का राजनैतिक संवाद | राष्ट्रीय किसान मंच | रायबरेली

राष्ट्रीय किसान मंच के तत्वाधान में आयोजित किसानों का राजनैतिक संवाद कार्यक्रम रायबरेली जिले के महाराजगंज तहसील के ठाकुरपुर कैड़ावा गांव में संपन्न हुआ। जिस कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत करते हुए संगठन के अनुशासन समिति के अध्यक्ष श्री लाल बहादुर सिंह जी ने कहा कि मौजूदा समय में वर्तमान सरकार का रवैया किसानों के प्रति उदासीन है व आए दिन प्रदेश में सरकारी महकमे के अधिकांश दफ्तरों में घूसखोरी व किसानों की अनसुनी हो रही है जिस वजह से अब समय आ गया है कि किसानों को सड़क से लेकर सदन तक की लड़ाई में सहभागी होना पड़ेगा।

संगठन के राष्ट्रीय महासचिव ओपी यादव ने कहा कि अतीत में सभी सरकारों ने किसानों के लिए बहुत सारे कार्य किए किंतु कुछ बुनियादी कार्य अभी भी आवश्यकता से बहुत कम हैं जिनकी सुध मौजूदा सरकार को जरूर लेनी चाहिए साथ ही उन्होंने कहा कि गत वर्ष देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए जिसमें पंजाब के नतीजे देश को चौंकाने वाले नतीजे रहे। पंजाब में आम आदमी पार्टी रिकॉर्ड सीटों के साथ सत्ता हासिल करने में कामयाब रही तथा मान साहब के नेतृत्व में पंजाब प्रगति कर रहा है ! तो वहीं देश के विभिन्न राज्यों में किसान नौजवान आम आदमी पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे हैं व पार्टी दिन-प्रतिदिन किसानों नौजवानों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है ।

विदित हो कि उपरोक्त कार्यक्रम में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व नगर निकाय चुनाव लखनऊ के प्रभारी पं० शेखर दीक्षित जी को कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होना था किंतु कुछ राजनीतिक कारणों से अध्यक्ष जी कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके।

उपरोक्त कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ० राम सागर रावत जी, राम लखन , बाबूलाल लोधी राजेश कुमार और प्रदेश संगठन मंत्री डॉ विजय रावत सहित क्षेत्र के तमाम गणमान्य किसान मौजूद रहे और कार्यक्रम का सफल संचालन पं० आशीष मिश्रा ने किया ।

मुख्य अतिथि – मा० पं० शेखर दीक्षित जी
राष्ट्रीय अध्यक्ष
राष्ट्रीय किसान मंच

गरिमामयी उपस्थिति –
श्री ओपी यादव
राष्ट्रीय महासचिव
राष्ट्रीय किसान मंच
संजय द्विवेदी
संगठन मंत्री
श्री लाल बहादुर सिंह
अध्यक्ष अनुशासन समिति
अरुण कुमार बाबा
अध्यक्ष अवध
पं० वेद प्रकाश बाजपेई
महासचिव अवध
सर्वेश पाल
प्रदेश उपाध्यक्ष अवध

कार्यक्रम स्थल – ठाकुरपुर कैड़वा पोस्ट – मऊ गरवी थाना व तहसील महाराजगंज जनपद रायबरेली
आयोजक- डॉ० रामसागर रावत व बाबूलाल लोधी


प्रतिलिपि-
1.श्रीमान क्षेत्राधिकारी महोदय – महाराजगंज
2.श्रीमान क्षेत्रीय अभिसूचना इकाई (L.I.U.)

भारतीय किसान

भारतीय किसान

भारतीय किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। वे देश की 1.4 अरब आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, हाल के दिनों में, भारतीय किसानों की दुर्दशा चिंता का कारण रही है।

भारतीय किसानों के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों में से एक बाजार तक पहुंच और उनकी उपज के उचित मूल्य की कमी है। उचित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण, कई किसान अपनी उपज स्थानीय मंडी (बाजार) में सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से बहुत कम कीमतों पर बेचने के लिए मजबूर हैं। इससे उनकी आय में गिरावट आई है और उनके कर्ज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

भारतीय किसानों द्वारा सामना की जाने वाली एक अन्य समस्या ऋण तक पहुंच की कमी है। कई किसानों को साहूकारों पर निर्भर रहना पड़ता है जो अत्यधिक ब्याज दर वसूलते हैं। यह, उनकी उपज के उचित मूल्य की कमी के साथ मिलकर, कई किसानों को कर्ज के चक्र में धकेल दिया है। जिसकी वजह से किसान आत्महत्या करने को मजबूर है।

जलवायु परिवर्तन का असर भारतीय किसानों पर भी पड़ रहा है। सूखे और बाढ़ जैसी मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप फसल की विफलता और किसानों की आय का नुकसान हुआ है। इसके अतिरिक्त, सिंचाई और अन्य आधुनिक कृषि तकनीकों तक पहुंच की कमी ने किसानों के लिए बदलते मौसम के मिजाज को अपनाना मुश्किल बना दिया है।

सरकार ने भारतीय किसानों की दुर्दशा को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं जो की ऊँट के मुंह में जीरा के सामान है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का उद्देश्य किसानों को फसल बीमा प्रदान करना है, लेकिन इस योजना से भारत के अधिकतम किसान उतनी ही दूर है जितनी भारत की सर्कार किसानों से। सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का कार्यान्वयन अभी तक सही नहीं है जिसका भुगतान किसान अपनी जान देकर चुका रहा है।

भारतीय किसानों को ढेर सारे मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है जो उनकी आजीविका और भलाई को प्रभावित कर रहे हैं। बाजारों और उचित कीमतों तक पहुंच की कमी, ऋण तक पहुंच की कमी और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव ऐसे कुछ मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है की किसानों को वह समर्थन मूल्य मिले जो उन्हें अपने और अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए चाहिए।

शिक्षा

शिक्षा

भारत देश की एक बड़ी आबादी आज भी गाँवो में रहती है जिनकी आय का मुख्य श्रोत ही खेतीबाड़ी होता हैं। भारत में ऐसे विषयों के बारे में पढाया जाता हैं जिनका हमारे जीवन में बहुत काम ही प्रयोग होता हैं जबकि कृषि जैसे विषयों को अनिवार्य करना चाहिए। बच्चों को कृषि से सम्बंधित टेक्नोलॉजी के बारे में पढ़ाना चाहिए। कृषि से व्यवसाय को कैसे जोड़ा जाय इस बात से बच्चों को अवगत कराना चाहिए।

बच्चों को इस बात से भी अवगत कराना चाहिए की गावों में खेती करने के बाद जो खाली समय किसानों के पास बचता है उसका प्रयोग वो और अधिक धन कमाने के लिए कैसे कर सकते हैं।

भारतीय किसान का एक बड़ा वर्ग उच्च शिक्षा से दूर है जिसकी वजह से उन्हें उचित प्रकार की सुख सुविधाएं नहीं मिल पाती है। देश की विकास के क्रम में किसानों का विकास सबसे पहले आता है जिपर सरकार को सबसे ज्यादा ध्यान दने की जरुरत है। राष्ट्रीय किसान मंच का तो यही नारा है की जो किसानों की बात करेगा वही देश पर राज करेगा।

गावों में सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को और training करने की जरूरत हैं। उन्हें उत्साहित किया जाय जिससे आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार के बच्चो को भी अच्छी शिक्षा मिल सके।

जिस तरह से शहरों में शिक्षा दी जाती है उसी तरह से उन्हें भी समानता का अधिकार दिया जाए। उन्हें भी उतनी शिक्षा मिलनी चाहिए जिससे वे अपने व्यवहारिक जीवन में उसका प्रयोग कर सके और उसके लाभ को समझे और अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दिला सके।

किसानो का लिया हुआ कर्ज

भारत में अधिकत्तर किसान आज भी अशिक्षित हैं जिसके कारण वो अपने आस-पास के साहूकारों से कर्ज उधार लेते हैं जो कि 70% से 120% तक का इंटरेस्ट (सूद) वसूलते हैं जबकि यही बैंको से लेने पर 12% से 17% तक देना होता हैं। सरकार को इन समस्याओ पर अधिकतम विचार करने की जरुरत है। बैंको के लेन-देन की जटिल प्रक्रिया को और आसान बनाने की जरुरत है। सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं की जानकारी हर किसान तक पहुँचाने पर काम करना चाहिए।