भारत देश की एक बड़ी आबादी आज भी गाँवो में रहती है जिनकी आय का मुख्य श्रोत ही खेतीबाड़ी होता हैं। भारत में ऐसे विषयों के बारे में पढाया जाता हैं जिनका हमारे जीवन में बहुत काम ही प्रयोग होता हैं जबकि कृषि जैसे विषयों को अनिवार्य करना चाहिए। बच्चों को कृषि से सम्बंधित टेक्नोलॉजी के बारे में पढ़ाना चाहिए। कृषि से व्यवसाय को कैसे जोड़ा जाय इस बात से बच्चों को अवगत कराना चाहिए।
बच्चों को इस बात से भी अवगत कराना चाहिए की गावों में खेती करने के बाद जो खाली समय किसानों के पास बचता है उसका प्रयोग वो और अधिक धन कमाने के लिए कैसे कर सकते हैं।
भारतीय किसान का एक बड़ा वर्ग उच्च शिक्षा से दूर है जिसकी वजह से उन्हें उचित प्रकार की सुख सुविधाएं नहीं मिल पाती है। देश की विकास के क्रम में किसानों का विकास सबसे पहले आता है जिपर सरकार को सबसे ज्यादा ध्यान दने की जरुरत है। राष्ट्रीय किसान मंच का तो यही नारा है की जो किसानों की बात करेगा वही देश पर राज करेगा।
गावों में सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को और training करने की जरूरत हैं। उन्हें उत्साहित किया जाय जिससे आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार के बच्चो को भी अच्छी शिक्षा मिल सके।
जिस तरह से शहरों में शिक्षा दी जाती है उसी तरह से उन्हें भी समानता का अधिकार दिया जाए। उन्हें भी उतनी शिक्षा मिलनी चाहिए जिससे वे अपने व्यवहारिक जीवन में उसका प्रयोग कर सके और उसके लाभ को समझे और अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दिला सके।
किसानो का लिया हुआ कर्ज
भारत में अधिकत्तर किसान आज भी अशिक्षित हैं जिसके कारण वो अपने आस-पास के साहूकारों से कर्ज उधार लेते हैं जो कि 70% से 120% तक का इंटरेस्ट (सूद) वसूलते हैं जबकि यही बैंको से लेने पर 12% से 17% तक देना होता हैं। सरकार को इन समस्याओ पर अधिकतम विचार करने की जरुरत है। बैंको के लेन-देन की जटिल प्रक्रिया को और आसान बनाने की जरुरत है। सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं की जानकारी हर किसान तक पहुँचाने पर काम करना चाहिए।